कहते हैं कि जहाँ चाह होती है वहीँ राह होती है
ऐसी ही पहाड़ जैसी प्रबल इच्छाशक्ति की मिशाल पेश की है उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जिले के किसान सेंटर रहवासी की टीम ने।दरअसल रोजगार की तलाश में पहाड़ों से हो रहे माइग्रेशन, लुप्त होती स्थानीय फसलों और किसानों की समस्या को देखते हुए इन लोगों ने रहवासी नाम से एक किसान केंद्र की शुरुआत की।
रहवासी के अंतर्गत से लोग किसानो को स्थानीय फसलें उगाने के लिए प्रेरित तो करते ही हैं साथ ही उन फसलों के बीज भी संरक्षित करते हैं ताकि किसानों को बीज आसानी से मुहैय्या कराये जा सकें। ये बीच के मल्टीप्लाई मोड़ पर काम करते हैं जैसे किसानों को 200 ग्राम बीज देते हैं और फिर उन्हें उगाने को कहते हैं और उसके बाद उनसे 400 ग्राम बीज ले लेते हैं ताकि अगले गांव में भी बीज पहुँचाया जा सके।
इसके आलावा देश भर में पहाड़ों से जुड़ाव रखने वाले युवा इस मिशन से जुड़ रहे हैं। आप यहाँ जा कर कुछ दिन रह भी सकते हैं। साथ ही रहवासी द्वारा चलाये जा रहे अभियानों का हिस्सा भी बन सकते हैं। इसके लिए टीम रहवासी आपसे कुछ सवाल करती है और वह आपको अपने श्रम में जोड़ने के लिए बुलाते हैं।
रहवासी के सदस्य पहाड़ों पर गड्ढे बनाकर पहाड़ी मछली का पालन भी कर रहे हैं। यह अपने आप में इस तरह का अनोखा प्रयास है। इसके अलावा रहवासी अभी 6 से 7 तरह की चाय की किस्मों पर काम कर रहा है। स्वदेशी के उद्देश्य पर काम करते हुए यह समूह स्थानीय फूलों, औषधीय वृक्षों की मदद से चाय पत्ती बनाने का काम करता है।
लाइब्रेरी और सरकारी स्कूल के साथ जुड़कर गांव के बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य के लिए रोज़गार पर भी काम किया जा रहा है और कुछ व्यक्तियों के माध्यम से गांव के कुछ बच्चों को आर्थिक सहायता राशि भी पहुँचाई जा रही है।
फिलहाल अनिल कार्की जी अपनी प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर गांव के बदलाव के लिए 2 साल से यहाँ संघर्ष कर रहे हैं जिसका नतीजा ये है कि अब गांव में बदलाव दिखने लगा है।