जी हाँ! भगवान का बगीचा जहाँ की प्राकृतिक सुंदरता मन मोह लेने वाली है. जहाँ के पानी की पारदर्शिता में जमीन साफ़ दिखाई देती हैं. जहाँ की शुद्ध हवा में पक्षियों का शोर सुनाई देता है. यहाँ के जंगलों की ख़ामोशी में पेड़ों की बातें सुनाई देती हैं.
मेघालय के शिलांग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट का मावल्यान्नॉग गांव. मेघालय का यह गांव भारत ही नहीं पूरे एशिया का सबसे स्वच्छ गांव माना जाता है. यहां रहने वाले लोग गाँव की स्वच्छता को लेकर सरकार या किसी संस्था पर निर्भर नहीं हैं. मावल्यान्नॉग के लोग अपने घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने डस्टबिन में जमा करते हैं. इसके लिए पूरे गांव में जगह-जगह पर कचरा डालने के लिए बांस से बने हुए डस्टबिन लगाए गए हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं.
यह गाँव मेघालय के प्रसिद्द पर्यटक स्थलों में से एक हैं. इसका प्राकृतिक स्वरुप पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं. यहां वाटरफॉल, पेड़ों की जड़ों से बने प्राकृतिक ब्रिज और बैलेंसिंग रॉक्स भी हैं. इसके अलावा जो पर्यटकों को खासा पसंद आता है वो है 80 फीट ऊंची मचान पर बैठकर शिलांग की प्राकृतिक खूबसूरती को निहारना. इस गांव में एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए जिन पूलों का इस्तेमाल किया जाता है उसे किसी ने नहीं बनाया है बल्कि ये पूल प्राकृतिक रुप से बने हुए हैं.
जनगणना के अनुसार इस गांव में 95 परिवार रहते हैं. शिक्षा के मामले में भी यह गांव सबसे आगे है. यहां की साक्षरता दर 100 फीसदी है. इतना ही नहीं यहां रहने वाले ज्यादातर लोग सिर्फ अंग्रेजी में ही बात करते हैं. सुपारी की खेती ही इन लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है. मावल्यान्नॉग गांव को साल 2003 में एशिया के सबसे साफ-सुथरे गांव के लिए चुना गया और साल 2005 में यह भारत का सबसे साफ-सुथरा गांव बना.
महिला, पुरुष और बच्चों समेत किसी भी गांववाले को अगर कहीं गंदगी नजर आती है तो वो फौरन सफाई में लग जाते हैं. सफाई के प्रति इनकी जागरुकता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर सड़क पर चलते हुए उन्हें कोई कचरा नजर आता है तो वो वहीं रुककर पहले कचरे को डस्टबिन में डालते हैं फिर आगे बढ़ते हैं.
मावल्यान्नॉग गांव शिलांग से करीब 90 किलोमीटर और चेरापूंजी से करीब 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां आप सड़क के रास्ते पहुंच सकते हैं. अगर आप चाहें तो देश के किसी भी हिस्से से हवाई सफर करके शिलांग तक पहुंच सकते हैं.