कहते हैं अगर हिन्दुस्तान को जानना है, यहाँ की क्षमता, सामर्थ्य और इच्छाशक्ति से रूबरू होना है तो हिन्दुस्तान के गाँवों में जाइये। असली हिन्दुस्तान मिट्टी के गांवों में बसता है.
ऐसा ही एक गाँव है पंजाब के लुधियाना में. लुधियाना का चाकर गाँव। जहाँ की बेटियां देश भर के बेटों पर भारी हैं. जिन पर दिन-रात बॉक्सिंग का जुनून सवार है. अक्सर गाँव की छवि आपसी लड़ाई झगड़ों को लेकर बदनाम हो जाती है लेकिन चाकर गाँव के लोगों ने अपनी इस छवि को एक नया रूप दिया है. चाकर के सिद्धू भाइयों ने गाँव के लड़को और लड़कियों को काबिल बनाने और उनमे आत्मशक्ति भरने के लिए स्पोर्ट्स का सहारा लिया। उन्होंने 2005 में चाकर में शेर-ए पंजाब स्पोर्ट्स अकादमी की स्थापना की. बलदेव सिद्धू (दवे) और दिवंगत अजमेर सिद्धू द्वारा बच्चों और युवा वयस्कों को संसाधन प्रदान करने के लिए इस अकादमी को स्थापित किया गया था।
बलदेव सिद्धू कहते हैं कि उनका अंतिम लक्ष्य एक आदर्श गांव बनना है और दूसरों को दिखाना है कि चाकर में लोगों के बारे में कुछ भी अनोखा नहीं है।
शेर-ए पंजाब स्पोर्ट्स एकेडमी की स्थापना करने का लक्ष्य बॉक्सिंग, फुटबॉल और एथलेटिक्स में प्रशिक्षित और प्रतिस्पर्धा करने के लिए सभी उम्र के बच्चों के लिए एक संगठित अकादमी स्थापित करना था। अकादमी खोलने के लिए एक बड़ी प्रेरणा यह भी थी कि पंजाब के कई अन्य गाँव के लोग नशीली दवाओं के उपयोग, हिंसा और अन्य व्यसनों में अपना जीवन ख़राब कर रहे थे.
अकादमी खोलने से आशा थी कि बच्चों पर एक सकारात्मक प्रभाव डालने वाला माध्यम मिलेगा ताकि वे स्वस्थ जीवनशैली जीने के बारे में सीखें। जबसे यह स्पोर्ट्स अकादमी खुली है तब से यहाँ खिलाडियों ने अपने खेल को बेहतर किया है साथ एथलीटों को विकसित कर गांव, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर प्रतिस्पर्धा करने में भी सिद्धू भाइयों का यह प्रयास सक्षम हुआ है।
अकादमी के सभी एथलीट गाँव के अम्बेसेडर हैं, जो पेड़ लगाने में मदद करते हैं, अपनी एथलेटिक सुविधाओं और गाँव के संसाधनों को स्वच्छ रखते हैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। अकादमी का अंतिम लक्ष्य एक आदर्श गांव बनना है और दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करना है की सौहार्द और समर्थन के साथ सब कुछ सम्भव है।
आज शेर-ए पंजाब स्पोर्ट्स एकेडमी में 300 से 400 खिलाडी रोज अपने खेल की तैयारी करते हैं. इन खिलाडियों में लड़कियों की संख्या बराबर की है. ग्रामीण स्टार पर शुरू किया गया सिद्धू भाइयों का यह प्रयास आज भारत के गांवों के लिए एक मिसाल है.