पदमश्री तुलसी गौड़ा ‘जंगल की इनसाइक्लोपीडिया’
कौन है तुलसी गौड़ा
कर्नाटक की हलक्की जनजाति की आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा का जन्म एक निर्धन परिवार में हुआ. जिसकी वजह से से उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की. उन्हें बचपन से ही प्रकृति से बड़ा लगाव था. जिसके चलते वह अपना ज्यादातर समय जंगलों में व्यतीत करती. जिसके कारण उन्हें पौधों और वन्य औषधियों की अच्छी जानकारी प्राप्त हुई. यही कारण है की आज लोग उन्हें ‘इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ फारेस्ट’ के नाम से जानते हैं.
तुलसी गौड़ा कर्नाटक की रहने वाली एक 72 वर्षीय महिला हैं. जिन्हें पर्यावरण सुरक्षा में उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पदमश्री तुलसी गौड़ा को ‘जंगल की इनसाइक्लोपीडिया’ के नाम से भी जाना जाता है.
पर्यावरण सुरक्षा में योगदान
तुलसी गौड़ा लगभग पिछले 6 दशकों से पर्यावरण सुरक्षा में योगदान दे रहीं है. इसके लिए उन्होंने लगभग 30,000 से अधिक पौधे लगायें हैं. जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. तुलसी गौड़ा पर्यावरण सुरक्षा के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिए युवा पीढ़ी के साथ अपने ज्ञान को साँझा कर रही हैं. वह अपने प्रयाशों के चलते एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में वन विभाग से भी जुडी हुई हैं.
सोशल मीडिया में वायरल
नगें पैर, एक साडी नुमा कपडे को पहने अपने अत्यंत साधारण व्यक्तित्व के साथ तुलसी गौड़ा जब पद्मश्री सम्मान लेने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने पहुंची तो उनकी इस वीडियों और फोटो को सोशल मीडिया में बहुत पसंद किया गया.
Meet 'Encyclopedia of Forest', Tulsi Gowda from #Karnataka.
She has planted more than 30,000 saplings and looks after the nurseries of the @aranya_kfd.
Today, Hon'ble President of India presented Padma Shri to her.@rameshpandeyifs @ParveenKaswan #Padmashri pic.twitter.com/6zZNXQh2MA
— Environment and Ecology for UPSC (@EnvirForUPSC) November 8, 2021
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