सेब का उत्पादन भारत के कई राज्यों में होता है। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सेब की कई किस्म देखने को मिल जाती हैं। अनुकूल वातावरण होने पर सेब की पैदावार कहीं भी संभव है।
बिहार में शुरू की सेब की खेती
अनुकूल वातावरण होने पर भागलपुर में अब केला और मक्के की खेती के साथ-साथ सेब, नारंगी और मौसमी का उत्पादन भी होने लगा है। बिहार में इसे संभव करके दिखाया है नवगछिया के किसान गोपाल सिंह ने। गोपाल सिंह ने ही नामुमकिन को मुमकिन करके दिखाया है। गोपाल सिंह ने परंपरागत खेती के साथ-साथ ही सेब, मौसमी, नारंगी, और पपीते की खेती कर दिखाई है, अब गोपाल सिंह बाकी किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
पहली बार 15 एकड़ खेत में की थी संतरे की खेती
किसान गोपाल सिंह के मुताबिक उन्होंने कई साल पहले अपने 15 एकड़ खेत में संतरे की खेती की थी। इसके बाद उन्होंने 10 एकड़ खेत में मौसमी की खेती की। वहीं संतरे की खेती से खुश होकर गोपाल ने सेब की भी खेती करनी शुरू कर दी। किसान गोपाल ने 15 एकड़ में नारंगी, 15 एकड़ में मौसमी, 4 एकड़ में थाई बेर, 4 एकड़ में सेब की खेती और 4 एकड़ में अमरूद की खेती की।
जानकारों की मानें तो सेब में करीब 10 बीज होते हैं। सेब का एक पेड़ 4 से 5 साल की उम्र में फल देना शुरू कर देता है। साथ ही करीब 100 साल तक ये ही पेड़ फल देता रहता है।
हिमाचल का मड़ावग गांव सेब उत्पादन में अव्वल
हिमाचल का मड़ावग गांव सेब की खेती के लिए पूरे विश्व में फेमस है। इस गांव का हर एक किसान सेब खेती से करीब करोड़ों रुपए सालाना कमाई कर लेता है। वहीं सेब की खेती ने इस गांव को पूरी तरह बदल दिया है।
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