गौ पालन का हमारे ग्रामीण जीवन में बहुत महत्व है। धार्मिक और आर्थिक रूप से गौ पालन हमेशा से भारतीय संस्कृति की रीढ़ रहा है।
चाहे दूध की निर्भरता हो या गाय का औषधीय महत्व या कृषि में बैलों का उपयोग हो गाय हमेशा से धारावाहिक जीवन का हिस्सा बनी रही है। यहाँ तक कि प्राचीन काल में घर में गायों की संख्या से ही पारिवारिक समृद्धि का आँकलन भी किया जाता रहा है।
गौ पालन कैसे करें
दुग्ध उत्पादकों के लिए ज़रूरी है कि गाय पालन करते हुए आहार, पानी, और स्थान को लेकर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें।
आहार
- गाय को हरा चारा देना चाहिए इससे गाय के प्रजनन में लाभ मिलता है साथ ही हरे चारे के इस्तेमाल से दाने पर आने वाला खर्च भी घटता है।
- गाय को संतुलित आहार देना चाहिए न कम न ज़्यादा। जिससे वह आसानी से खाना पचा सके। खाने में पोषण का भी ध्यान रखें।
- गाय को आहार और पानी समय से दे। आहार में समय के हेर – फेर से भी पशु के स्वास्थ और दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ता है।
पानी की व्यवस्था और दूध का समय
- पशु के रहने के स्थान पर पानी की सही व्यवस्था रखें। जहां उसे आराम से नहलाया जा सके।
- नहलाने के बाद पशु को सूखे स्थान पर बांधे तथा साफ़ सफ़ाई का विशेष ध्यान रखें।
- प्रतिदिन समय से दूध निकालें।
- सुबह 5-6 बजे के बीच तथा शाम 4 से 6 बजे के बीच दूध निकालने का समय तय करें।
प्रजनन
- अपनी गाय को अधिक दूध देने वाली गाय के बछड़े से ही गर्भित करवाएँ।
- ऐसा करने से आपकी गाय से आगे भी अधिक दूध देने वाली संताने ही पैदा होंगी।
- गर्भावस्था के अंत समय में लगभग 60 दिन पहले गाय का दूध निकालना बंद कर देना चाहिए तथा गाय के आहार को अधिक प्रोटीन वाला रखना चाहिए।
- इससे गाय बच्चा जनने के बाद अपनी पूर्ण क्षमता के साथ दूध देती है और बच्चा जनने में भी सुविधा रहती है।
गौ पालन का स्थान
- गौ पालन के स्थान को हवादार रखें, ताकि गाय को पर्याप्त स्वच्छ हवा और धूप मिल सके।
- उस स्थान पर एक टीन का शेड भी लगायें ताकि ज़्यादा धूप या बारिश के मौसम में गाय को इससे बचाया जा सके।
- गाय के स्थान को थोड़ा ढलान वाला बनाए तथा चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल करें ताकि उस स्थान में पेशाब या पानी का भराव न हो तथा गोबर को आसानी से उठाया जा सके।
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