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अमेरिका छोड़ देश में खड़ी की अरबों की कंपनी, अब कर रहे हैं गाँवों का विकास

Shridhar Vembu
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गाँव से पैसा कमाने के लिए शहर आने और शहरों से विदेश चले जाने के ख्वाब तो हर कोई देखता है। लेकिन शहर में पैसा कमाकर वापस अपने गाँव लौटने की इच्छा और वहां स्वयं का कोई व्यवसाय स्थापित करने की सोच भी आजकल के युवाओं में दिखाई देती है।

ऐसा ही कुछ हासिल करके दिखाया है ज़ोहो कॉपोरेशन के मालिक और फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार 2020 में दुनिया के 59 वे सबसे अमीर इंसान श्रीधर वेम्बू जिन्हे 2021 में भारत सरकार द्वारा पदमश्री के पुरूस्कार से सम्मानित किया गया।

शुरूआती जीवन

श्रीधर वेम्बू का जन्म सन 1968 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक किसान परिवार में हुआ। वेम्बू ने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बेचलर की डिग्री प्राप्त कर अपनी स्नातक की पढाई की।  इसके बाद उन्होंने एमएस और पीएचडी की पढाई न्यू जर्सी की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से की।

शुरू की खुद की कंपनी 

शुरू में श्रीधर ने वर्ष 1994 में सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम कंपनी में नौकरी से अपनी शुरुआत की लेकिन जब नौकरी में मन नहीं लगा तो वह 2 वर्ष नौकरी करने के बाद वापस अपने देश लौट आये और उन्होंने यही रहकर अपने कुछ शुरू करने का मन बनाया। उन्होंने अपने एक साथी टोनी थॉमस के साथ मिलकर वर्ष 1996 में एक छोटे से ऑफिस से ‘सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट ‘ इस नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की।  समय के साथ वर्ष 2009 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदला और जोहो (ZOHO) रख दिया।

कारोबार के साथ कर रहे हैं ग्रामों का विकास 

जोहो का मुख्यालय चेन्नई में है लेकिन श्रीधर चेन्नई से लगभग 630 किलोमीटर दूर तेनकासी के पास माथलमपराई नाम के गाँव में रहते हैं। कमल की बात है कि उन्होंने इसी गाँव में अपना सैटेलाइट ऑफिस बना रखा है। श्रीधर यहाँ कम्युनिटी डेवलपमेंट और रूरल डेवलपमेंट के कई कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा श्रीधर जोहो स्कूल ऑफ लर्निंग के माध्यम से हाई स्कूल और डिप्लोमा विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने का कार्य भी कर रहे हैं।

सामुदायिक​ विकास में उनकी किस कदर भूमिका रही है, इसे चेन्नई स्थित इकोनॉमिक्स कंसल्टिंग ग्रुप के अध्ययन से समझा जा सकता है. इस स्टडी में तेनकासी में कई क्षेत्रों में पॉजिटिव इम्पैक्ट का पता चला है. इनमें ओवरऑल इनकम, महिला सशक्तीकरण, एजुकेशन, स्किल डेवलपमेंट, रोजगार और सामुदायिक विकास आदि शामिल है।

कंपनी खरीदने वालों को दिया जवाब 

योर स्टोरी को दिए एक साक्षात्कार में श्रीधर बताते हैं कि एक बार अमेरिका के एक बड़े उद्योगपति ने उन्हें धमकाकर उनकी कंपनी खरीदने की कोशिश की थी। उन्होंने श्रीधर को धमकाते हुए कहा था कि ‘गूगल एक दानव है और इसके साथ आप मुकाबला नहीं कर सकते।’ इस बात का श्रीधर ने अपनी सहजता से जवाब देते हुए कहा कि ‘गूगल से डरने की जरूरत उसे है, ZOHO को जिंदा रहने के लिए तो बस सेल्फसोर्स से अच्छा करने की जरूरत है.’ उन्होंने अपनी कंपनी को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए दिन रात मेहनत की। कठिन फैंसले लिए और उतार-चढ़ाव के दौर से भी गुजरे, लेकिन कंपनी को अंत में एक बड़े उद्योग के रूप में स्थापित कर दिया।

 

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