कृषि बागवानी

फूलों की खेती कर के अब किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा, सरकार भी दे रही है सब्सिडी

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अब नई तकनीक की फूलों की संरक्षित खेती से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. संरक्षित खेती में फसलों के लिए उनके अनुकूल वातावरण तैयार किया जाता है. परिभाषा के अनुसार ‘संरक्षित खेती एक नवीनतम तकनीक है। जिसके माध्यम से फसलों की मांग के अनुसार सूक्ष्म वातावरण को नियन्त्रित करते हुए मूल्यवान सब्जियों की खेती का प्राकृतिक प्रकोपों एवं अन्य समस्याओं से बचाव किया जाता है, और कम से कम क्षेत्रफल में अधिक से अधिक गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त किया जाता है।’

वैसे तो फूलों की उपज का किसानों को पहले भी अच्छा दाम मिल जाता था लेकिन जलवायु और पर्यावरण से होने वाली क्षति के कारण किसानों को जितनी अपेक्षा होती थी उतना मुनाफा नहीं मिल पाता था. पर अब सरकार इस समस्या का निवारण कर रही है. सरकार किसानों को संरक्षित खेती करने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है. आम तौर पर खुले में खेती करने के कारण पर्यावरण के साथ फसलों पर प्राकृतिक आपदाओं जैसे की बरसात, तूफ़ान इत्यादि का भी बहुत प्रभाव पड़ता है. इसीलिए किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में काम कर रही सरकार संरक्षित खेती को बढ़ावा दे रही है.

अब किसान पॉली हाउस, ग्रीन हाउस, नेट हाउस, वॉकिंग टनल और लो टनल जैसी संरचनाओं के माध्यम से संरक्षित खेती कर किसान खुले में खेती करने पर आने वाली चुनौतियों का निवारण कर सकते हैं. इस तरह की खेती अच्छी उपज के कारण किसानों को तो मुनाफा प्रदान करती ही है साथ ही यह पर्यावरण और मिट्टी के लिए भी अच्छी साबित होती है.

संरक्षित खेती में वातावरण में बदलाव कर सकने की सुविधा के कारण अब किसान अलग-अलग सीजन में बेमौसमी सब्जियों, फूलों और सजावटी पौधों आदि का उत्पादन भी कर सकते हैं. संरक्षित खेती का मुख्य उदेश्य फसल को जैविक और अजैविक कारकों से बचाकर उगाना होता है.

फूलों की आधुनिक खेती करने के लिए जरुरी है कि आप अपने जिले के उद्यान अधिकारी के साथ – साथ बैंक और ट्रेनिंग कराने वाली संस्थाओं से भी संपर्क कर लें. सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए जरुरी है की आप बैंक अधिकारीयों से अपने प्रोजेक्ट और उसकी लागत की चर्चा करें। साथ ही संरक्षित खरति करने से पहले अपने क्षेत्र की फूल मंडी या आसपास की बड़ी मंडी में ये पता कर लें की किस फूल की मांग सबसे ज्यादा है ताकि आपको अपनी फसल के लिए बाजार न खोजना पड़े. और आप अपनी फसल में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सकें।

अगर खर्च की बात करें तो पॉली हाउस, ग्रीन हाउस, नेट हाउस, वॉकिंग टनल और लो टनल जैसी संरचनाओं को बनाने में ज्यादा लगत आती है लेकिन सरकार किसानों को इसके लिए सब्सिडी और लोन की सुविधा मुहैया करा रही है. जिससे इस तरह की खेती करना अब किसानो के लिए बहुत ही आसान हो गया है. साथ ही ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन की वजह से लागत भी थोड़े समय में ही निकल आती है.

यदि एक अंदाजन लागत की बात कि जाये तो 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में पॉली हाउस बनाने में लगभग 10 लाख रुपए का खर्च आता है और 4000 वर्ग मीटर में लागत 35 लाख रुपए आती है.

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