आपने जगह और राज्य के नाम पर तो पशुओं की काफ़ी नस्लों के बारे में सुन होगा, पर क्या कभी राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के नाम पर किसी भैंसे का नाम सुना है ? जी, पंजाब में पल रहा है राकेश टिकैत के नाम का टिकैत बुल।
पंजाब की लक्ष्मी डेरी के किसान का कहना है कि राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) देश में भैंसों की ब्रीड में एक बड़ा नाम हो सकता है। राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) भैंसे की ख़ास बात है कि इसकी पिछली 3-4 पीढ़ियों में सभी पशु बहुत दुधारू रहे हैं और इस किसान ने अपने इस भैंसे का नाम किसान नेता राकेश टिकैत के नाम पर रखा है। इस किसान का कहना है कि दूर क्षेत्रों के किसान भी टिकैत बुल के सीमन के लिए उनसे सम्पर्क कर रहे हैं।
अगर टिकैत (Rakesh Tikait) बुल की मदर या फादर लाइन की बात करें तो इसकी दोनों ही पीढ़ियों में पशुओं का रिकोर्ड बेहतरीन रहा है।टिकैत की माँ मैना का दूध अपने पहले ही ब्यात में 17 किलों से अधिक रिकोर्ड किया गया। मैना की माँ यानी कि टिकैत बुल की तीसरी पीढ़ी की भैंस का दूध भी 25 से 26 किलो मापा गया है।
टिकैत (Rakesh Tikait) गुजरात की बनास डेयरी के बुल नम्बर 122 का बच्चा है। यानी की इस बुल की परेंटल लाइन भी अच्छे रिकोर्ड वाले पशु की है।
आपको बता दें कि (Rakesh Tikait) पश्चिमी उत्तरप्रदेश के टिकैत परिवार के एक बड़े किसान नेता तथा भारतीय किसान यूनियन के सीनियर लीडर हैं. हाल ही में दिल्ली में हुए किसान आंदोलन में उनकी मुख्य भूमिका रही. जिसकी वजह से केंद्र सरकार को अपने तीनो फार्मर बिल वापस लेने पड़े.
राकेश टिकैत स्वर्गीय किसान नेता एवं भारतीय किसान यूनियन के मुखिया महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र हैं और आज कल जंतर मंतर पर चल रहे पहलवानों के अनशन में पहलवानो के साथ हैं. इस अनशन में पहलवान बजरंग पुनिया, ओलिंपिक मैडल विजेता साक्षी मालिक, पहलवान विनेश फ़ोगाट जैसे पड़े पहलवान शामिल हैं.
ये पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के साथ-साथ देशभर में किसान नेता राकेश टिकैत की लोकप्रियता ही है कि पंजाब के इस किसान ने अपने बुल का नाम Rakesh Tikait रखा है.
क्यों छोड़ी राकेश टिकैत ने दिल्ली पुलिस की नौकरी
राकेश टिकैत आज कल लगातार ख़बरों में बने रहते हैं आपको बता दें कि राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर जिले के सिसौली गांव के रहने वाले हैं, सिसौली ही उनका पैतृक गाँव भी है। राकेश टिकैत चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ से आर्ट्स में मास्टर्स किये हुए हैं इसके बाद उन्होंने वकालत की पढाई की और नौकरी भी प्राप्त की.
आपको जानकार हैरानी होगी कि साल 1992 में जब राकेश टिकैत सब-इंस्पेक्टर के रूप में दिल्ली में तैनात थे तब उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में उसी जगह पर किसान आंदोलन चलाया जा रहा था और महेंद्र सिंह टिकैत दिल्ली के इण्डिया गेट के पास किसानों को लेकर धरने पर बैठे हुए थे.
इसी लिए सरकार द्वारा राकेश टिकैत पर अपने पिता को समझाने और धरना ख़त्म करने का दबाव बनाया गया. यह राकेश टिकैत के लिए बड़ा मुश्किल था क्योंकि महेंद्र सिंह टिकैत पिछले कई दिनों से लाखों किसानों को लेकर दिल्ली की केंद्र सरकार का घेराव कर रहे थे.
इसीलिए राकेश टिकैत ने अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत को समझाने की बजाय एक कदम और आगे बढ़ते हुए दिल्ली पुलिस की अपनी नौकरी से इस्तीफा से दिया और आंदोलन से जुड़ गए. इसी के बाद से अपने परिवार की परिपाटी पर राकेश टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन के माध्यम से किसानों का नेतृत्व करने का अपना प्रयास जारी रखा. उसी आंदोलन को डंकल प्रस्ताव हेतु आंदोलन के नाम से जाना गया था।