National भारत सरकार ने खाद्यान्न उत्पादन में आई स्थिरता और बढ़ती जनसंख्या की खाद्य उपभोग को ध्यान में रखते हुए अगस्त 2007 में केंद्र प्रायोजित ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना’ का शुभारंभ किया था। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना का मुख्य लक्ष्य गेहूं, चावल और दलहन की उत्पादकता में वृद्धि लाना है ताकि देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके। इसका दृष्टिकोण समुन्नत प्रौद्योगिकी के प्रसार और कृषि प्रबंधन पहल के जरिए से इन फसलों के उत्पादन में व्याप्त अंतर को दूर करना है। मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता में सुधार करना, रोजगार के मौका पैदा करना और कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना है। NFSM के तहत मोटे अनाज को साल 2014-15 से शामिल किया गया था। ये अभियान, 25 मिलियन टन अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन के लक्ष्य के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी रखा गया था।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तीन घटक हैं
1. चावल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
2. गेहूँ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
3. दलहन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान के तहत 12वीं पंचवर्षीय योजना के आखिरी तक 10 मिलियन टन चावल, 8 मिलियन टन गेहूं, 4 मिलियन टन दलहन और 3 मिलियन टन मोटे अनाज का अतिरिक्त उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना था। 12वीं योजना के बाद इस अभियान को 13 मिलियन टन खाद्यान्न के नए अतिरिक्त लक्ष्य के साथ जारी रखा गया था। इसके तहत साल 2017-18 से 2019-20 तक 5 मिलियन टन चावल, 3 मिलियन टन गेहूं, 3 मिलियन टन दालें और 2 मिलियन टन पोषक तत्वों वाले मोटे अनाज का अतिरिक्त उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था।
NFSM में वर्तमान में उप-घटक यानी NFSM-चावल, NFSM-गेहूं, NFSM-दलहन, NFSM-मोटे अनाज, NFSM-पोषक तत्वों वाले अनाज और NFSM-वाणिज्यिक फसल शामिल हैं। NFSM को देश के 28 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के चुने हुए जिलों में लागू किया गया है।
24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 193 जिलों में NFSM- चावल, 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 124 जिलों में NFSM-गेहूं, 28 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 644 जिलों में NFSM-दलहन और 26 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 269 जिलों में NFSM- मोटे अनाज। किसानों को प्रथाओं के उन्नत पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शनों के आयोजन और फसल प्रणाली पर प्रदर्शनों के लिए सहायता दी जा रही है। करीब 80 हेक्टेयर क्षेत्र में नई उन्नत फसल उत्पादन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने के लिए साल 2014-15 से 2019-20 तक खाद्यान्न फसलों जैसे चावल, गेहूं, दालों और मोटे सह पोषक-अनाज को प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के तहत शामिल किया गया था।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत अधिक उपज देने वाली किस्मों-HYV के बीज वितरण, कृषि मशीनरी, संसाधन संरक्षण मशीनरी, उपकरण, कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण, पौधा संरक्षण, पोषक तत्व प्रबंधन और किसानों को फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण दी जाती हैं। साल 2020-21 से किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों, छोटे भंडारण केंद्र, लचीले हस्तक्षेप को स्थानीय जरुरतों के मुताबिक इस अभियान में जोड़ा गया है। इस अभियान में बीज प्रतिस्थापन दर और प्रजातीय प्रतिस्थापन में सुधार के लिए ध्यान केंद्रित किया गया है। नवीनतम किस्मों की छोटी किट को केंद्रीय बीज एजेंसियों के जरिए से किसानों के घर पर मुफ्त में बांटा जाता है।
खाद्यान्नों की उन्नत किस्मों के बीज प्रतिस्थापन दर (SRR) को बढ़ाने के लिए साल 2014-15 से 2019-20 तक NFSM के तहत चावल, गेहूं, दालों और मोटे अनाजों की अधिक उपज देने वाली किस्मों, हाइब्रिड किस्मों के लगभग 74 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज बांटे गए थे। किसान के घर तक दलहन और पोषक-अनाज की अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए साल 2014-15 से 2019-20 तक करीब 16 लाख क्विंटल दालों और पोषक-अनाज के प्रमाणित बीज का उत्पादन किया गया था।
साल 2014-15 से 2019-2020 तक करीब 110 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, जैव-उर्वरक, मिट्टी के अमेलोरैंट्स के साथ इलाज का लक्ष्य हासिल करने में ये अभियान सक्षम है। एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) के तहत लगभग 120 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य साल 2014-15 से 2019-20 के दौरान हासिल किया गया था। किसान के खेत में मशीनीकरण को मजबूत करने के लिए साल 2014-15 से 2019-2020 तक NFSM के तहत लगभग 15 लाख उन्नत कृषि उपकरण बांटे गए थे।
‘हर खेत को पानी’ और ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के उद्देश्य को हासिल करने के लिए साल 2014-15 से 2019-2020 तक के एनएफएसएम के तहत किसानों के बीच 2,74,600 पंप सेट और 1,26,967 पानी का छिड़काव करने वाले यंत्र और पानी ले जाने वाले लगभग 764 लाख मीटर पाइप बांटे गए थे।
किसानों के लिए साल 2014-15 से 2019-2020 के दौरान राज्यों और बाकी कार्यान्वयन संस्थानों को केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में योजना के तहत 8760.81 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। देश में कार्यक्रम के कार्यान्वयन और राज्य सरकारों के साथ-साथ भारत सरकार की ओर से किए गए ठोस प्रयासों के बाद 2014-15 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 252.02 मिलियन टन से बढ़कर 2019-2020 के दौरान 296.65 मिलियन टन हो गया, जोकि 17.71 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
वहीं खाद्यान्नों की उत्पादकता 2014-15 में 2028 किलोग्राम हेक्टेयर थी, जो 2019-2020 के दौरान बढ़कर 2325 किलोग्राम हेक्टेयर हो गई है, जो कि 14.64 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। दालों के उत्पादन में वृद्धि 2014-15 में 17.15 मिलियन टन से बढ़कर 2019-20 में 23.15 मिलियन टन हो गई है जो लगभग 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।