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मोटापा घटाएगी, चेहरे की रंगत सुधारेगी फोर्टिफाइड मसूर दाल

Fortified Masoor dal
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-बीएचयू साउथ कैंपस और कानपुर दलहन अनुसंधान केंद्र की खोज

– आयरन बढ़ाने और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित करने में कारगर

दलहन अनुसंधान कानपुर एवं बीएचयू साउथ कैंपस के कृषि वैज्ञानिकों ने फोर्टिफाइड मसूर की खोज की है। फोर्टिफाइड मसूर की यह दाल मोटापे को कम कर चेहरे की रंगत को भी सुधारेगी।

फोर्टिफाइड मसूर में फाइबर और प्रोटीन की अधिक मात्रा पाई जाती है। यह भूख को तुरंत शांत करती हैं और मोटापे को भी नियंत्रित करती है। इसका उपयोग करने वालों को वश थोड़ा सा व्यायाम करना होगा। मसूर की दाल से बना फेस मास्क त्वचा की अशुद्धियोंं को दूर करता है। यहीं नहीं, मसूर के फेस पैक से त्वचा युवा, कोमल और चमकती नजर आती है। बीएचयू के बरकछा स्थित राजीव गांधी दक्षिणी परिसर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से फोर्टिफाइड मसूर के उत्पादन के लिए किसानों में वितरण भी किया जाएगा।

कृषि विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष प्रो. श्रीराम सिंह की मानें तो इस वर्ष लगभग 50 हेक्टेयर में फोर्टिफाइड मसूर की खेती की जाएगी। इसके लिए किसानों ने बीज खरीदना भी शुरू कर दिया है। साउथ कैंपस में उत्पादित फोर्टिफाइड मसूर एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। यही वजह है कि मसूर की दाल मधुमेह, मोटापा, कैंसर और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करती है। पोषक तत्वों की उच्च मात्रा, पॉलीफेनोल्स और अन्य बायोएक्टिव तत्वों से युक्त यह दाल भोजन और औषधि दोनों की भूमिका निभाती है। यही वजह है कि साउथ कैंपस ने अब इसका व्यावसायिक दृष्टि से उत्पादन कराने का फैसला किया है।

प्रति बीघा चार कुंतल होता है उत्पादन

साउथ कैंपस के कृषि वैज्ञानिक प्रो. श्रीराम सिंह की मानें तो फोर्टिफाइड मसूर का उत्पादन भी बेहतर है। इसका उत्पादन चार कुंतल प्रति बीघा है। इससे किसानों की दोगुना आय करने में भी मदद मिलेगी। जिले को दलहन बीज उत्पादन हब के तौर पर विकसित करने में इसकी भूमिका अहम होगी। शासन से भी फोर्टिफाइड मसूर की खेती को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया है।

80 किसानों को बांटा गया बीज

साउथ कैंपस के कृषि विज्ञान संस्थान से जिले के 80 किसानों में फोर्टिफाइड बीज का वितरण किया गया। इन किसानों को साउथ कैंपस से रियायती दर पर फोर्टिफाइड मसूर का बीज मुहैया कराया गया है। यहीं नहीं बीएचयू प्रशासन इन किसानों के खेतों में उत्पादित फोर्टिफाइड मसूर को अगले वर्ष बीज के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए बाजार दर से अधिक मूल्य पर खरीद भी लेगा। इससे किसानों को काफी लाभ होगा।

इम्यूनिटी बढ़ाती है मसूर दाल (Increases Immunity)

मसूर की दाल में इम्यूनिटी बढ़ाने वाला तत्व पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। यह शरीर में एंटीमाइक्रोबियल यानी जीवाणु रोधी गतिविधि को बढ़ाते हैं। इससे शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण (इन्फेक्शन) का जोखिम कम हो जाता है। मसूर दाल में मौजूद पेप्टाइड्स इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक हैं।

रक्त में कोलेस्टॉल को कम करती है मसूर

मसूर दाल में फाइबर मौजूद है। कृषि वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार फाइबर बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसमें हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक प्रभाव को काम करता है। साथ ही फोर्टिफाइड मसूर में एंटी कोलेस्टेरोलेमिक भी होता है। यह होमोसिस्टीन नामक एमीनो एसिड को नियंत्रित करता है। खून में बढ़ी हुई होमोसिस्टीन की मात्रा हृदय रोग का कारण बनती है।

ब्लड शुगर (Blood Sugar) में फायदेमंद है मसूर की दाल

ब्लड शुगर की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए भी फोर्टिफाइड मसूर वरदान साबित होगी। मसूर की दाल में डायबिटिक पेशेंट और स्वस्थ मनुष्यों में ब्लड शुगर, लिपिड व लिपोप्रोटीन मेटाबॉलिज्म में सुधार करने की क्षमता होती है। इसमें पाई जाने वाली उच्च फ्लेवोनोइड और फाइबर सामग्री ब्लड शुगर की मात्रा को बढ़ने से रोक सकती है।

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