महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमु्ंद जिले में मानसून पर निर्भर रहने वाले कृषकों की संख्या बहुत है, जिनके पास कृषि हेतु भूमि तो उपलब्ध है, किन्तु सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे कृषक अपने कृषि भूमि के निकट जल स्रोतों जैसे नदी, नाला उपलब्ध होने पर डीजल, केरोसिन पंप स्थापित कर सिंचाई के लिए जलापूर्ति करते हैं या तो जलस्रोत उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उन्हें पूरे साल बारिश का इंतजार करना पड़ता है। जिसके कारण किसानों के कृषि कार्य काफी प्रभावित होती है और बारिश नहीं होने पर किसानों की फसल बर्बाद हो जाता है। इससे उनके परिवारों के लिए भरण-पोषण की विकराल समस्या उत्पन्न हो जाती है।
इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पाॅवर फाईनेन्स कॉर्पोरेशन (भारत सरकार का उपक्रम), नई दिल्ली के पहल एवं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा (क्रेडा) के वित्तीय सहयोग से राज्य के ऐसे स्थलों जहां स्टाप डैम, बैराजों एवं ऐसे जल स्रोतों जहां पर्याप्त मात्रा में सरफेस वाटर उपलब्ध है, वहां सौर सामुदायिक सिंचाई योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पंप के साथ-साथ सिविल अधोसंरचना एवं पाइप लाइन विस्तार कर सिंचाई कार्य किया जा रहा हैं। इस साल शुरू में कम बारिश से फसल को जो नुकसान होने वाला था।
जिला मुख्यालय महासमुंद से लगभग 20 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में ग्राम अछोला स्थित है। जहां समोदा बैराज में सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहता है, परन्तु स्थल, विद्युत बाधित होने एवं डीजल पंपों में आवश्यकता से अधिक व्यय होने के कारण ग्राम अछोला के किसान समोदा बैराज के जल का समुचित उपयोग सिंचाई के लिए नहीं कर पाते थे। ऐसे में सिंचाई के लिए बारिश की उम्मीद में आसमान की ओर ताक रहे ग्राम अछोला के किसानों को अब संजीवनी मिल गई है।
सहायक अभियंता क्रेडा नंद कुमार गायकवाड़ ने बताया कि अब यहां के किसानों को सिर्फ मानसूनी बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़ता क्योंकि क्रेडा द्वारा पॉवर फायनेस कॉरर्पोरेशन लिमिटेड (भारत सरकार का उपक्रम) के सहयोग एवं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण (क्रेडा) के वित्तीय सहयोग से 10 एचपी क्षमता के चार सोलर सामुदायिक सिंचाई पंप (सोलर पंप) का स्थापना कार्य किया गया है। जिसमें लगभग 11 हजार 500 मीटर पाइप लाइन बिछाकर समोदा बैराज का पानी कृषकों के खेतों में पहुंचाया जा रहा है। जिसमें 57 खाताधारी एवं अन्य कृषकों द्वारा इस योजना का लाभ लेकर लगभग 67 हेक्टेयर (167.5 एकड़) खेतों में सिंचाई कर रहे हैं।