बीकानेर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा बीकानेर जिले के गांव पेमासर, उदासर, सागर एवं बीछवाल क्षेत्र की लगभग 85 महिलाओं ने एनआरसीसी द्वारा आयोजित विश्व खाद्य दिवस के इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता निभाई।
कार्यक्रम में जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड रमेश ताम्बिया, ने कहा कि अनाज, दूध व अन्य खाद्य उत्पादन की दृष्टि से विश्व में हम प्रमुख स्थान पर हैं, इसमें सभी देशवासियों का समन्वित योगदान सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को खाद्य के दृष्टिकोण से एक बेहतर कल दे सकें, इसके लिए हमें अन्न को बचाते हुए इसकी बर्बादी को रोकना होगा। ताम्बिया ने खाद्य उत्पादन की दृष्टि से देश को समृद्ध बनाने में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हुए खेती में अधिक उत्पादन के लिए पेस्टीसाइट के उपयोग के प्रति किसानों को सचेत भी किया।
इस कार्यक्रम से वर्चुअल रूप से जुड़ते हुए केन्द्र निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ आर्तबन्धु साहू ने कहा कि महिलाओं की कार्यप्रणाली में अच्छा खाद्य, उत्तम खाद्य और सभी के लिए खाद्य की पावन भावना देखी जा सकती है, ऐसे में खाद्य/भोजन के भलीभांति उपयोग को प्राथमिकता दी जाए तो हमारा राष्ट्र और अधिक प्रगति कर सकेगा।
डॉ साहू ने खाद्य उत्पादन के हिसाब से कृषि कार्यों में लगभग 40 प्रतिशत तथा कहीं-कहीं पर इससे अधिक अनुपात में महिलाओं का योगदानए दृष्टिगोचर होने की बात कहीं। केन्द्र निदेशक ने महिलाओं से यह आह्वान किया कि वे ऊंटनी के दूध से मूल्य संवर्धित खाद्य उत्पाद तैयार करने हेतु आगे आएं तथा इस हेतु केन्द्र उन्हें प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध करवाने हेतु उत्सुक है। इस अवसर पर केन्द्र वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित ऊंटनी के दूध एवं बाजरा मिश्रित नूतन दुग्ध उत्पाद (कुकीज/बिस्कुट) का आमजन की उपलब्धता हेतु जारी किया गया। पश्चिमी राजस्थान की मुख्य फसल बाजारा है, उष्ट्र दूध एवं बाजरा के संगम से केन्द्र द्वारा निर्मित इस उत्पाद के माध्यम से कृषकों को आर्थिक लाभ मिल सकेगा। केन्द्र की डा बसंती ज्योत्सना, कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर के सावल, केंद्र वैज्ञानिक डा. शांतनु रक्षित ने भी विचार रखे। इस मौके ऊंटनी के दूध से निर्मित दुग्ध उत्पाद ‘खीर’ का भी सर्व किया गया।